Hindutva: संघ को मुस्लिम समाज की बढ़ती संख्या से चिंता क्यों? जानिए सत्य!
Hindutva: देश में अब नया मुद्दा तेज़ी से उठ रहा है। जिससे एक बार फिर देश में विशेष समाज को निशाने पर लिया जा रहा है।
हाल ही में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत मुस्लिम समाज के धार्मिक स्थल और स्कूलों में सर्वे किया। और मुस्लिम समाज के मौलानाओं से मुलाकात भी की थी।
इस बात पर काफी चर्चा भी हुई थी। लेकिन अब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने विजयदशमी के शुभ अवसर पर एक बार फिर से एक विशेष समाज को निशाना बनाते हुए मुस्लिम समाज पर केन्द्रित हो कर चिंता जताते हुए कहा की जिस प्रकार से देश में तेजी से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है।
उससे आने वाले समय में देश के लिए चिंता बन सकती है। इस बयान के बाद ऐसा प्रतीत होता है जैसे मोहन भागवत मुस्लिम समाज से डर गए हैं।
और उनकी डर है की कहीं भारत देश में रहने वाले मुस्लिम समाज के लोग भारत को मुस्लिम राष्ट्र न बना लें।
Hindutva को लेकर बढ़ा रहे नफ़रत और डर
भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र है जहां पर हर किसी को हर प्रकार से बोलने खाने पीने, आदि की आजादी है। भारत में कई धर्मों के लोग रहते हैं।
लेकिन कुछ समय से देश में एक ही धर्म को टारगेट कर नफरत फैलाने का काम किया जा रहा है। इस के पीछे कुछ कट्टर संगठन के लोग देश के लोगों में अफवाहें फैला कर देश का माहौल खराब करने का निरन्तर प्रयास कर रहे हैं।
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उनका कहना हैं की देश के मुसलमान भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने का काम कर रहे हैं। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है।
और यदि मुस्लिमों को मुस्लिम राष्ट्र बनाना ही होता महाराजा अकबर खुद ही बना देते लेकिन उन्होंने देश को मजबूत और एक रखा देश का नाम हिंदुस्तान रखा।
लेकिन कुछ लोगों का मानना है की देश में मुस्लिम समाज की बढ़ती हुई लोकप्रियता और आबादी कहीं Hindutva के लिए खतरा न बन जाए।
मुसलमान बढ़ा रहे देश की जनसंख्या
भारत में कुछ समय से कुछ लोगों के मन में काफी भेद भाव और नफरत घोल दी गई है बता दें, की आरएसएस संघ को एक चिंता सता रही है की जिस प्रकार से देश में रहने वाले मुस्लिम समाज के लोगों की संख्या बढ रही है।
उससे ऐसा प्रतीत होता है की आने वाले समय में मुस्लिम देश को मुस्लिम राष्ट्र घोषित कर देंगे।
एक बयान में कहा गया की मुस्लिम समाज के लोग देश में अपनी संख्या तेजी से बढ़ाने के लिए चार चार शादियां करते है। जबकि देश का कानून है की कोई भी एक से अधिक शादी कर सकता है।