भारत में इस बार केले बेचने वाले और मजदूरों को मिले सर्वोच्च नागरिक सम्मान पुरुस्कार
भारत में भारतीय नागरिकों के योगदान या उनके कार्य को सम्मानित करने के लिए विभिन्न प्रकार के अवॉर्ड दिए जाते हैं जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि, कला, शिक्षा, उद्योग, साहित्य, विज्ञान, खेल, चिकित्सा, समाज सेवा और सार्वजनिक जीवन आदि में उनके विशिष्ट योगदान को मान्यता प्रदान करने के लिए दिया जाता है।जिसमें प्रमुख भारत रत्न, पद्म विभूषण और पद्म भूषण पद्म श्री है जिनमें से कुछ वास्तविक हस्तियों को चुना है जिनके बारे में हम करने वाले हैं
हमारे देश में ऐसे कई लोग हैं जो बिना किसी स्वार्थ के देश में परिवर्तन लाने के लिए अपना पूरा जीवन दूसरों की सेवा भाव में लगा देते हैं. ज्यादातर मामलों में लोग गुमनामी में रहकर भी अपने काम को करते रहते हैं, वहीं ऐसे लोग देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म पुरस्कार के जरिए देश के सामने आते हैं.देश में सोमवार को भारत के राष्ट्रपति ने सात हस्तियों को पद्म विभूषण, 10 को पद्म भूषण और 102 को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. इसमें एक नाम पर्यावरणविद तुलसी गौड़ा का नाम भी शामिल है कर्नाटक की रहने वाली पर्यावरणविद तुलसी गौड़ा को ‘जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया’ के नाम से भी जाना जाता है , कर्नाटक के होनाली गांव के रहने वाली गौड़ा ने 30,000 से अधिक पौधे लगाए हैं और वन विभाग की नर्सरी की देखभाल करती हैं। तुलसी गौड़ा को सम्मानित करने के साथ साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस अवसर पर उन्हें बधाई दी । वहीं इससे पहले उन्हें ‘इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र अवॉर्ड’, ‘राज्योत्सव अवॉर्ड’ और ‘कविता मेमोरियल’ जैसे कई अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
सही से कभी रुपए न गिनने वाले ने 200 रुपए में खोल स्कूल , मिला सबसे बड़ा नागरिक सम्मान:
संतरे बेचने वाले एक 64 साल के शख्स हरेकाला हजब्बा को देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाजा गया है, सामाजिक कार्य के तहत आने वाले शिक्षा के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए हजब्बा को इस पुरस्कार से नवाजा गया है।मिडिया रिपोर्ट के अनुसार अक्षर संत’ के नाम से जाने जाने वाले हजब्बा को कभी भी स्कूली शिक्षा नहीं मिली,मिडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया था की एक बार उनका सामना कुछ विदेशी टूरिस्ट्स से हुआ, जिन्होंने उनसे अंग्रेजी में संतरों का दाम पूछा, लेकिन वह दाम नहीं बता पाए इसके बाद उन्हें काफी शर्मिंदगी महसूस हुई, उन्होंने कहा, ‘मुझे काफी शर्मिंदगी हुई कि जो फल मैं बरसों से बेचता आ रहा हूं, मैं उसका दाम तक नहीं बता पाया।इसके बाद उनके दिमाग में स्कूल खोलने का आइडिया आया, उनके गांव न्यूपाडापु में स्कूल न होने के कारण गांव के सभी बच्चे स्कूल शिक्षा बहुत दूर थे , हजब्बा नहीं चाहते थे कि जो उन्होंने झेला, आने वाली पीढ़ियां भी वही झेलें, इसके बाद उन्होंने संतरे बेचकर अपनी जमा पूंजी से साल 2000 में गांव की सूरत ही बदल दी और एक एकड़ में एक स्कूल बनाया, ताकि बच्चे स्कूली शिक्षा हासिल कर सकें, उन्होंने जरूरतमंद बच्चों के लिए एक प्राथमिक स्कूल की स्थापना की, भविष्य में उनका सपना अपने गांव में एक प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज का है।
लोग मां बाप का अंतिम संस्कार नहीं कर पाते हैं, इस शख्स ने 5000 से अधिक लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार कर दिया:
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी के पास दूसरों के बारे में सोचने की फुर्सत नहीं है. लेकिन इसी समाज में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सिर्फ और सिर्फ दूसरों के बारे में ही सोचते हैं और उनके लिए जीते भी हैं, इसी तरह के एक शख्स हैं अयोध्या के मोहम्मद शरीफ, जो जाति-पाति और मजहब से दूर उन लावारिसों के अंतिम संस्कार के लिए तत्पर रहते हैं, जिनके या तो अपनों की पहचान नहीं हो पाती या फिर जिनका अपना कोई नहीं होता, उन लावारिश लाशों का शरीफ अंतिम संस्कार करते हैं जो समाज की एक विशेष सेवा है जिसके लिए शरीफ को राष्ट्रपति के द्वारा पद्मश्री सम्मान गया है यह उनके अदम्य त्याग का परिणाम है, आज हम उनके त्याग और उसके पीछे छुपी इस कहानी से सीखना चाहिए !
इस बार वास्तविक रुप से जमीन से जुड़े लोगों ने पाए सर्वोच्च नागरिक सम्मान पुरुस्कार:
अभी तक सर्वोच्च नागरिक सम्मान पुरुस्कार ऊंचे औधे पर बैठे , लखपति करोड़पति लोगों ये सम्मान मिलता था लेकिन इस बार बहुत अलग हुआ कई ऐसे चेहरो को चुना गया है जो वास्तविक रूप में समाज के हीरो है जो कभी फ़ोटो के लिए दिखावटी फ़ोटो नहीं खिंचवाते है , ये लोग ग्राउंड पर सेवा करते हैं ऐसे ही कुछ लोगों से भारत का सम्मान और सद्भाव बचा हुआ l