जीवन मे प्रेम कथा
“जहन के किसी कोने मे लिपटी हुई वह भावनाएँ जिन्हे महसूस करके मन प्रफुल्लित हो जाए शरीर ताजगी से भर जाए बस यही ‘प्रेम’ है!”…..
जीवन एक प्रेम कथा जिन्हे महसूस करके मन प्रफुल्लित हो जाए शरीर ताजगी से भर जाए बस यही ‘प्रेम’ है!”…..
‘प्रेम’ एक ऐसा शब्द है, जिससे किसी का भी जीवन अछूता नहीं रहता सभी के जीवन मे किसी ना किसी मोड़ पर प्रेम जरूर आता है, प्रेम किसी का भी हो माता – पिता का ,दोस्तों का या नायक – नायिका का , परन्तु प्रेम सबके जीवन मे जरूर होता है अर्थात प्रेम बिना जीवन कभी पूर्ण नहीं हो सकता ।
इस किताब की लेखिका आयुषी सिंह जी ने प्रेम को बहुत बेहतरीन ढंग से बताया है एवं उनके टीम मेंबर गुमनाम मुसाफिर ( धर्मेंद्र कुमार कुशवाहा जी व पुष्पेंद्र कुमार चौधरी जी ) की सहायता से किताब को और ज्यादा रोचक बनाया है ।
मै रविवार के दिन बगीचे मे एक पेड़ के नीचे बैठ कर इस किताब को पढ़ रही थी किताब को पढ़ते – पढ़ते मुझे ऐसा लगने लगा , मानो मेरे शरीर से रूह निकल कर, कहानी से जुड़ रही हो । क्युकी प्रेम शब्द ही ऐसा है कि ज़ब भी प्रेम की बात आती है तब हर किसी को खुद की कहानी याद आने लगती है
प्रेम के आभाव मे जीवन व्यतीत तो किया जा सकता है परन्तु प्रेम के बिना जीवन व्यतीत करना असंभव है व्यक्ति के जीवन मे किसी ना किसी का प्रेम जरूर होता है ।
इस पुस्तक मे बरखा और अजय की कहानी है कि किस प्रकार उन्होंने अपना प्रेम पाने के लिए कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना और जीवन मे संघर्ष किया। मैं तो यही कहूंगी क़ि सभी के जीवन मे कोई ना कोई बरखा या अजय जरूर होता है इसी प्रेम के सफर मे किसी की कहानी मंजिल तक पहुंच जाती है
तो किसी की अधूरी रह जाती है और जिनकी अधूरी रह जाती है उनकी भी एक अलग दुनिया बन जाती है। अब हमारे मन मे एक सवाल आता है क्या बरखा और अजय की प्रेम कहानी पूरी हुई होगी ? और शायद बहुत कम लोगो का ही प्रेम पूर्ण होता है अक्सर लोग प्रेम के आभाव मे जीवन व्यतीत करते है ।
“जिनके दिल हुकूमत के मोहताज होते है
उनकी मोहोब्बत अक्सर गुलाम होती है!”
जो भी इस पुस्तक को पढ़ चुके होंगे या पढ़ रहे होंगे या पढ़ेंगे शायद ही ऐसा हो उनको अपनी प्रेम कहानी याद ना आयी हो मेरे ख्याल से एक बार सही पर प्रेम कहानी से रूबरू जरूर हुए होंगे , कुछ खुश हुए होंगे और कुछ रोये होंगे ।
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किताबें पढना क्यों जरूरी होता है? ” जीवन को समझने व नए – नए विचारों को जानने, जीवन मे तार्किक बनने और चीज़ों को सीखने के लिए किताबें पढना जरूरी होता है!” और प्रेम हो तो हर कोई पढना चाहता है,और मुझे ऐसा लगता है कि जो भी इस किताब को पढना शुरू करेगा वो किताब को पूरा पढ़ने के लिए मजबूर हो जायगा। किताब की कुछ पंक्तियाँ मुझे जो बेहद पसंद आई थी।
“अगर किसी का माथा चूमते समय, अगर उसकी आत्मा आँखों मे झलक जाए तो समझ जाना चाहिए कि ये आत्मा मेरी ही आत्मा है! जीवन एक प्रेम कथा”
इस किताब को पढ़कर मुझे बहुत अच्छा लगा था किताब को पढ़ते पढ़ते मे इतना खो गई थी कि कब शाम हो गई मुझे पता ही नहीं चला था। अब मुझे लग रहा है कि अगर मैं किताब के बारे मे लिखती रही तो कहीं पूरी किताब ना लिख जाऊँ । इसलिए मैं अपने शब्दो को विराम देती हूँ। अंत मे आयुषी जी द्वारा लिखी गई कुछ पक्तियों का जिक्र करना चाहूँगी..
“जीवन एक प्रेम कथा हवाएँ कोई नया गीत गुनगुना रही है, फिर राग कुछ सुना रही है”
सावन की बारिश आ गयी
तेरी याद फिर मुझे रुला रही है !”
यादें सबके जीवन का हिस्सा होती है और ऐसी ही कुछ यादें ऐसी किताबों को पढ़ने के लिए मजबूर करती है और आगे भी मजबूर करती रहेंगी
किताब – जिंदगी और मौत की बाहों मे…
लेखिका – आयुषी सिंह ( अनु )